Monday 30 October 2017

वो भूखे लंड ने मेरी चूत ही फाड़ दी -साली कुत्ति.. ले खा मेरा लंड मादरचोद… ले मेरे लंड के मजे साली

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(अह्ह्ह्हह…. तेरी चूत का बाजा बजा दूंगा आज साली कुतिया, माँ की लौड़ी साली रंडी…. आआह्ह्ह्ह….. ले चुद साली…. और मंजीत भाभी जी को जोर जोर से थपकिया लगाने लगा और कमरे में थप थप थप… और सिस्कारियो के साथ गरम गरम माहोल और जल उठा….. दोनों खूब मजे ले लेकर एक दुसरे को गालिया दे रहे थे… और सिस्कारिया भर रहे थे.)
इस सेक्स स्टोरी की शुरुआत होती है मंजीत यानी इस कहानी के मुख्य किरदार से. मंजीत एक ऐसा लड़का है जिसने अपने पड़ोस की या कहे अपने सारे रिश्तेदारों और यहाँ तक की अपनी माँ और बहिन को भी अपनी कल्पनाओ में सोच- सोच कर न जाने कितनी बार सूखी दीवारों को अपने लंड से निकली पिचकारियो से गीला किया था.
मंजीत को केवल एक चीज़ से मतलब था कि बस उसे चूत मारनी है. पढाई लिखाई में तो वो एक दम ढेर था इसलिए शायद २२ साल का होने के बावजूद भी वो आज तक १०वी पास नहीं कर पाया इसलिए अपने घर गाँव में आवारा कुत्तो की तरह लड़कियों और औरतो को ताड़ता हुआ घूमता रहता था.
वो पढ़ता लिखता नहीं था इसलिए उसके पिता ने उसे खेतो के काम के लिए लगा दिया था और शायद वो भी इसी में खुश था क्यूंकि पढाई का नाम सुनते ही उसे चक्कर आ जाता था. indian sex stories  ,  xxx stories , Office sex stories , xxx stories , hindi sex stories , porn stories , chudai ke kahani , चुदाई की कहाँनी , गांड मारने की कहानी ,indian sex stories , सेक्स स्टोरीज , फ्री हिंदी सेक्स स्टोरीज , हिंदी में सेक्स की कहानी ,indian sex stories , xxx stories , hindi sex stories , porn stories , chudai ke kahani , चुदाई की कहाँनी , गांड मारने की कहानी , सेक्स स्टोरीज , फ्री हिंदी सेक्स स्टोरीज , हिंदी में सेक्स की कहानी , indian sex stories
मंजीत अक्सर चूत की तलाश में रहता था पर उसकी बदकिस्मती कहिये या कुछ और २२ साल का होने का बावजूद भी आज तक उसे एक चूत तो क्या किसी की चूची चूसन भी नसीब नहीं हुआ था. वो अक्सर बस अपने कुछ अवारा दोस्तों के साथ घूमता फिरता, लडकियों और औरतो को ताड़ता और बस चोदने चुदाने बाते ही किया करता था.
पर कहते है ना उसके घर में देर है अंधेर नहीं और वो एक दिन सब को एक मौका देता है और ऐसे ही एक मौका मंजीत को भी मिला, जब उसके पड़ोस में उसके कजिन के मामा की बहु यानी भाभी सतवीर आई. सतवीर एक मस्त औरत थी, उसकी शादी हुए ३ साल हो चुके थे और इन् सालो में वो अपने ससुराल के लगभग सभी के लंड खा चुकी थी.
उसके आने की खबर सुनते ही मंजीत खुश हो गया क्यूंकि वो पहले भी कभी कभी उससे शादियों में मिल चुका था और उसकी बातो से मंजीत को यह अंदाज़ा हो गया था, कि वो उसका भी चखना चाहती है.
जैसे ही मंजीत को पता चला कि भाभी जी आ चुकी है वो उसके घर पंहुचा और सामने ही उसे सतवीर भाभी के दर्शन हो गए ३६- ३०- ३६ की फिगर के साथ पीले सलवार सूट में वो कहर ढा रही थी.
मंजीत- भाभी जी क्या हाल चाल है आपके.
सतवीर- मैं तो ठीक हूँ देवर जी आप बताइए.
मंजीत- बस भाभी जी आपकी कृपा है.
सतवीर- अच्छा, मैंने तो अभी तक कोई कृपा नहीं करी तुम पर.
मंजीत- अगर नहीं की, तो कर दीजिये.
सतवीर- बड़ी जल्दी में लग रहे हो देवर जी.
मंजीत- मैं कहा भाभी, आप मुझे जयादा तेज़ लग रही है.
सतवीर- हा, वो तो मैं हूँ ही.
मंजीत- तो फिर थोड़ी तेज़ी बन्दे के लिए भी दिखाइए.
सतवीर- बोलो क्या तेज़ी देखनी है तेरे को मेरी.
मन्जीत- कुछ गरमा- गरम तेज़ी से मिल जाये, तो मज़ा आ जाये.
दोनों के बिच गरमा- गरम डबल मीनिंग बाते चल रही थी. और दोनों ही चुदाक्कड किसम के थे, तो उन दोनों की प्लानिंग होने में जयादा टाइम नहीं लगा.
और आखिरकार मंजीत ने भाभी जी को पटा ही लिया. और उसके पटाने की क्या बात थी वो खुद ही पट गयी थी और इसलिए उन दोनों ने रात को खेत में मिलने का प्लान बनाया.
गाँव में रात जल्दी हो जाती है, तो शाम के टाइम मंजीत उनके घर पहुच गया और भाभी जी को घुमाने के बहाने से घर से निकाल लाया. मंजीत बहुत खुश था. उसे अपनी मन चाही चीज़ जो मिलने वाली थी या यू कहे बरसो पुरानी मुराद पूरी हो रही थी.
थोड़ी ही देर में ही वो खेतो में जा पहुचे, और वहां मोटर के पास वाले कमरे में मंजीत ने सारा इंतज़ाम किया हुआ था, बिस्तर लगा हुआ था यानी पूरी सेटिंग.
सतवीर- वाह, देवर जी कुछ जयादा ही उतावले हो.
मंजीत- भाभी जी मुझे तो कब से इस पल का इंतज़ार है.
मंजीत ने यह बात बोलते ही सतवीर भाभी को अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके होठो पर अपने होठ रख दिए. और सतवीर के नरम रसीले होठो का रसपान करने लगा. भाभी के रसीले होठ चूसते चूसते मंजीत ने अपने दोनों हाथ उसके गोल चुचो पर रखे और उन्हें अपने हाथो में भरने की कोशिश करने लगा., जो इतने बड़े थे की मुश्किल से पकडे जा रहे थे. एक दम गोल गोल और मोटे- मोटे….
मंजीत के लगातार किस के साथ सतवीर भाभी भी गरम होने लगी थी. और उसने मंजीत के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ घुमाया.
सतवीर पेंट के ऊपर से हाथ घुमा कर बोली- वाह, देवर जी आपका सामान तो काफी भरी लग रहा है.
मंजीत ने भी तपाक से कहा हां भाभी जी ! बस आपके लिए आज का तोहफा है.
यह कहते ही मंजीत ने अपनी कमीज उतर फेंकी और भाभीजी की भी कमीज़ ब्रा के साथ उतार दी. और भाभी जी के नंगे चुचे मंजीत के सामने थे. उसने भाभी के नरम नरम चुचियो को मुह में भर कर चुसना लगा. मंजीत भाभी की एक चूची को मुह में लेकर अन्दर की और खींचता और उसके ऐसा करते ही सतवीर तिलमिला उठती और उसके मुह से आह्ह्ह्हह… की सिसकारी निकल जाती.
५ मिनट तक तो सतवीर अपनी चुसवाती रही, पर फिर उसने मंजीत को पीछे की ओर धक्का दिया और घुटनों के बल बैठ गयी. भाभी की इस हरकत से मंजीत भी समझ गया और उसने आगे आ कर भाभी को अपनी मन मानी करने की इज़ाज़त दे दी.
सतवीर में जैसे ही मंजीत का लोअर निचे किया तो उसका ८ इंच का लम्बा लंड छलांग मार कर सीधा उसके होठो पर जा लगा. मंजीत के लंड का आकार देख कर सतवीर भी हैरान रह गयी, क्यूंकि उसने लंड तो बहुत खाए थे, पर इतना बड़ा कभी भी नहीं.
मंजीत ने भाभी को लंड को लगातार घूरता देख, उसके सर को पकड़ा लंड के सुपाडे  को उसके मुह से सटा दिया और चूसने को कहा. पहले तो सतवीर थोडा डर गयी, लंड का साइज़ देख कर पर सतवीर ने भी हिम्मत दिखाई और लंड अपने मुह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगी. पर लंड आधा ही उसके मुह में जा रहा रहा. पर तभी मंजीत ने उसके सर को पकड़ा और अपना पूरा लंड भाभी के गले तक उतर दिया.
ऐसा होते ही सतवीर कसमसा उठी और तिलमिलाने लगी. और १५- २० सेकंड के बाद जब मंजीत ने उसे छोड़ा तो उसने तुरंत अपने मुह में से लंड बाहर निकला और हाफ्ने लगी. शायद उसकी सांस अटक गयी थी. पर सेक्स में इन् सब बातो पर कौन ध्यान देता है. अब लंड एक दम सतवीर की लार से चिकना हो गया था. तो मंजीत ने देर न करते हुए भाभी को उठा कर एक झटके में पेंटी सहित उसकी सलवार निकली और बिस्तर पर धकेल दिया.
फिर वो भाभी के ऊपर चढ़ गया और बिना टाइम गवाए अपने लंड का सुपाडा भाभी की चूत पर सटाया और कस कर एक धक्का मारा और आधा लंड भाभी की चूत में घुसा दिया.
इतने में सतवीर को कोई फरक नहीं पड़ा क्यूंकि वो पहले भी लंड ले चुकी थी, पर जैसे ही मंजीत ने दूसरा धक्का मारा, पूरा का पूरा अन्दर चूत में उतरा तो सतवीर तिलमिला उठी अह्ह्ह्हह्ह…. अह्ह्ह….. करने लगी.
सतवीर भाभी के मुह से सिस्कारिया निकल रही थी अह्ह्ह्ह….. देवर जी आःह्ह….. मैं तो गयी.
मंजीत बोला अह्ह्ह्हह…, भाभी क्या चूत है तेरी एक दम टाइट…..
सतवीर के मुह से सिस्किरिया निकल रही थी अह्ह्ह्ह…. ऊऊऊ… ह्ह्हह्ह्ह्ह….चोद  मुझे…. अह्ह्ह्ह…. और जोर से…..
मंजीत का जोश भाभी की सिस्कारियो से और भी बढ़ गया और वो पुरे जोश से सतवीर की चूत बजाने लगा और अपनी लय में आकर चुदाई करने लगा. भाभी भी आह्ह्ह्ह…. चोद मुझे ऐसे ही अह्ह्ह्ह…. ओह्ह्ह्हह्ह….. चोद  अह्ह्ह्ह…. साले हरामी…चोद अपनी भाभी को… साले बेहनचोद…. अह्ह्ह्ह….
भाभी के मुह से गालिया  सुन मंजीत भी गालिया बकने लगा. साली कुत्ति.. ले खा मेरा लंड मादरचोद… ले मेरे लंड के मजे साली अह्ह्ह्हह…. तेरी चूत का बाजा बजा दूंगा आज साली कुतिया, माँ की लौड़ी साली रंडी…. आआह्ह्ह्ह….. ले चुद साली…. और मंजीत भाभी जी को जोर जोर से थपकिया लगाने लगा और कमरे में थप थप थप… और सिस्कारियो के साथ गरम गरम माहोल और जल उठा….. दोनों खूब मजे ले लेकर एक दुसरे को गालिया दे रहे थे… और सिस्कारिया भर रहे थे.
१५ मिनट लगातार चोदने क बाद मंजीत झड़ने वाला था तो उसने भाभी से पुछा…. भाभी मेरा आने वाला है… आह्ह्ह्ह…. कहा निकालू….
तो सतवीर बोली मेरे अंदर ही भर दे वैसे भी ७- ८ महिने में माँ बनने वाली हूँ, तो कोई फरक नहीं पड़ता.
मंजीत ने वैसा ही किया और उसने अपने वीर्य की पिचकारिया भाभी की चूत में भर दी और सतवीर भी उसकी गरम पिचकारियो से गरमा गयी और उसने भी अपना फवारा चला दिया और दोनों एक साथ झड कर निढाल हो गए.
उन्हें घर से निकले काफी देर हो चुकी थी इसलिए वो तुरंत घर की और चल पड़े ताकि किसी की कोई शक न हो.

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