Tuesday 31 October 2017

पति का लंड 2 इंच का था इस वजह से मैं ड्राइवर से फंस गई हु

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मेरे प्यारे दोस्तों, नमस्कार मैं किरण देवी, बत्तीस साल की हु, मैं अम्बाला में रहती हु, मैं अपने पति के साथ हु, मेरे माता पिता दोनों भटिंडा से है, मैं वही पली बढ़ी, फिर मेरी शादी हो गई. शादी के समय मेरी उम्र 28 साल थी. और मेरे पति की उम्र 29 साल, पति का अनिल सरदाना है. पति का बहुत बड़ा व्यापार है. मेरी दो दो फैक्ट्री है जो की तौलिया बनाने का काम करती है. किसी चीज की कमी आज तक मुझे नहीं हु. क्यों की मेरा मायका भी व्यापारी फैमिली से ही आता है. मेरी ज़िंदगी काफी खुशहाल थी. मेरे पति काफी अच्छे व्यबहार के इंसान है. पर आप सोच रहे होंगे की मैंने उनसे वफ़ा क्यों नहीं की. मैं क्यों वेवफा हो गई.
मेरी शादी जब हुई तो वो बॉक्सर थे, पंजाब में बहुत जाना माना नाम था उनका पर एक दुर्घटना ने मेरी ज़िंदगी बदल दी. शरीर में उनके काफी बदलाव आ गया, उसमे से एक उनका प्राइवेट पार्ट भी छोटा हो गया. करीब २ इंच का दिल्ली में कई जगह इलाज करवाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ, वो नेक्स्ट मंथ अमेरिका जा रहे है. इलाज करवाने के लिए. मैं भी दुआ कर रही हु की वो जल्दी ठीक हो जाये.
अब मैं सीधे कहानी पर आती हु, मैं शुरू से काफी चुद्दक्कड किस्म की लड़की थी. जब मैं छोटी थी तब ही मैंने अपने चचेरे भाई से सेक्स सम्बन्ध बना ली. जब मेरी चूचियाँ भी ज्यादा गोल गोल नहीं हुई थी. तब से ही मैं लड़के को देख कर बौखला जाती थी और मुझे अपनी चूचियाँ सहलवाने का मन करता था. पर मेरे घर बाले का निगाह मेरे ऊपर रहता था, उनलोगो को भी पता था की मैं दो नंबर की लड़की हो गई, पर मुझे माँ पापा के तरफ से काफी डाट डपट मिलता था इस वजह से मैं थोड़ी लाइन पर थी. फिर मेरे रिश्ते यानि की शारीरिक सम्बन्ध कई लोगो से भी बना, जो मेरे यहाँ गाय का देखभाल करता था उससे मैं बहुत चुदी थी क्यों की उसका लंड बहुत हो मोटा और लंबा था, मेरे शरीर को शूट करता था क्यों की मेरी ब्रा की साइज ३६ है. लम्बी चौड़ी हु, गांड बहुत मोटा और पीछे से उभरा हुआ है. होठ मेरे बहुत गुलाबी और गाल मेरे सेव की तरह है.
शादी के कुछ दिन बाद तक तो मेरे पति मुझे अच्छी तरह से चोदता था पर बाद में बीमारी की वजह से उनका लंड काफी छोटा हो गया और फिर मेरे किसी काम का नहीं बचा. क्यों की मुझे कुछ भी नहीं होता था, एक ही आदत मुझे अपने पति की अच्छी लगती थी. चोदने के पहले वो मेरे सारे कपडे एक एक कर के उतारते थे. फिर बाद में मेरा ब्रा और मेरी पेंटी निकलते थे, और लगातार मेरे पुरे शरीर को जीभ से छूटे रहते थे. मजा तो ज्यादा तब आता था जब वो अपने जीभ से मेरी चूत के अंदर डाल कर हिलाते थे बहुत भी जाजवाब लगता था. मैं तो पानी पानी हो जाती थी. मुझे उस समय गजब का एहसास होता था. मैं खूब एन्जॉय करती थी. मेरे चूत से निकला हुआ पानी वो जीभ से चाट जाते थे, फिर वो ऊपर आकर मेरे चूच पर जीभ फिराते थे फिर वो मेरे निप्पल को हलके दाँतों से काटते थे, मेरे रोम रोम खिल उठता था. फिर मैं भी वाइल्ड हो जाती थी और मैं भी पति को लिटा कर उनके लंड को फिर आंड को और फिर गांड को जीभ से चाटती थी, उनको भी बहुत मजा आता था.
ये सब चलता था फिर मैं तो पागल हो जाती थी. आप यूँ समझिए की ये रोज रोज होता था फिर जब मैं पूरी तरह से गरम हो जाती थी फिर वो अपने मोटे और लम्बे लंड से चोदते थे. पर अब सब कुछ बदल गया था, क्यों की वो मुझे तैयार तो वैसे ही कर देते थे पर जब मुझे चोदते थे तो आग बबूला हो जाती थी. क्यों की उनका दो इंच का लंड कुछ भी नहीं कर पाटा था. मैं उनको धक्का दे के अलग कर देती और तुरंत भी बाथरूम में जाकर नहा लेती ताकि मन शांत हो जाये. मेरे पति को भी काफी गलानी होती थी. पर मैं कर भी क्या सकती . एक दिन की बात है. मुझे लगा की ज़िंदगी तो जीने की चीज है. मैं क्यों घुट घुट कर मर रही हु. क्यों ना अपने वासना की आग को किसी और से बुझा लु. क्यों की मुझे ऐसे भी बहुत लोगो से पहले भी चूद चुकी हु, तो सोची की चलो एक बार ये गलती और करती हु. फिर मैं अपने पति को बोली देखो जी आप तो कल मुंबई जा रहे हो. गर्मी ज्यादा है. मैं घर में बोर हो चुकी हु. मुझे दो तिन दिन का मनाली का पैकेज दिलवा दो. मैं आराम कर के आती हु, पति बोले ठीक है. और फटा फट उन्होंने एक फाइव स्टार होटल में मेरा कमरा बुक करवा दिया. और फिर बोले की तुम ऑडी कार ही ले जाओ और ड्राइवर भी ले जाओ, ड्राइवर के लिए भी उसी होटल के पास एक कमरा दूसरे होटल में बुक करवा दिया.
और मैं फिर मनाली चली गई. मनाली मैं शाम को करीब आठ बजे पहुंची, फिर मेरा ड्राइवर मुझे छोड़ कर वो होटल के निचे ही घूम रहा था, तब मैंने उसके मोबाइल पर फ़ोन किया की रघु तुम कहा हो मेरे लिए एक सर दर्द की दवा ला दो. मेरा सर बहुत दुःख रहा है. वो तब तक मैं निचे बार में जाकर करीब तिन पेग शराब पि ली. और हल्का सा कहना भी खा ली. पर मुझे नशा आ गया था, काफी नशा तभी रघु का फ़ोन आया मैडम जी. दबाई ला दिया हु. मैं बोली ठीक है मैं आती हु. तब तक वो दरवाजे के बाहर बालकनी में खड़ा था. फिर मैं जाकर दबा ली. रघु को बोली रघु जाओ तुम कहना खा लो और मैंने अपने पर्श से पांच सौ रुपया निकाल कर दी. पर उसने कहा नहीं नहीं मैडम जी मैंने कहना खा लिया.
मेरा सर का दर्द चूत नहीं रहा था, रघु पूछा मैडम जी आपका सर दर्द ठीक हुआ, तो मैंने कहा नहीं नहीं अब तो और भी जोर से होने लगा है. तो रघु बोल मैडम जी ऐसे में आपको पीना नहीं था. पर मेरे पास ठंढा तेल है गाडी में आप कहे तो ला दू. मैंने कहा ठीक है ल दो . और वो तुरंत ही निचे जाकर ठंढा तेल ला दिया तब तक मैं अपना बाल खोल कर और नाईट गाउन पहनकर लेट रही थी, रघु आया, मैंने कहा रघु तुम रख दो तेल अब मैं उठ नहीं पाऊँगी, क्यों की मेरा आँख बंद हो रहा था तब रघु बोल मैडम जी अगर आप बुरा नहीं माने तो आप सोये रहे मैं तेल लगा देता हु. आपके सर में मैं काफी अच्छे तरीके से लगा दूंगा क्यों की जब मेरी बीवी का ऐसा दर्द करता है तो मैं ही मालिश कर देता हु. मैंने कहा ठीक है. और वो मुझे बालों में तेल लगाने लगा. मुझे उसका छूना अच्छा लगने लगा फिर मैंने कहा रघु तुम मेरे हाथ में भी तेल लगा दो. वो मेरे हाथों में भी तेल लगाने लगा. फिर मैंने कहा पैर में भी लगा दो. और मैंने अपने गाउन को घुटने से ऊपर उठा दिया, अब रघु मेरे मोटे मोटे गोर गोर पैर को देखने लगा और मालिश करने लगा. मैंने कहा शर्म मत करो, और फिर मैंने अपने पर्श से दो हजार रुपया निकाली और रघु को देने लगी पर वो मना कर दिया बोला, नहीं मैडम जी. मेरा तो फर्ज है. आप यहाँ अकेले है अगर मैं नहीं देखूंगा तो और कौन देखेगा.
मैंने कहा रघु तू कितना अच्छा है. रघु बोला मैडम जी ये तो आपका बड़प्पन है. की आप ये बात बोल रही है. मैडम जी आपको मैं एक बात पुछू, आप बुरा तो नहीं मानोगे, मैंने कहा नहीं नहीं पूछो, मैडम जी पहले तो आप बहुत खुश रहते थे पर आज कल बहुत उदास रहते हो. पहले आप बहुत सजते सवरते थे पर आजकल बहुत नार्मल रहते हो. क्या कारण है. मैं भी भावना में बाह गई और रोने लगी. बोली रघु आजकल सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. और मैंने उसको खुलकर सब कुछ बता दी. मैं नशे में थी और आपको तो पता है की नशे में इंसान सब कुछ सही सही बोलता है. फिर क्या था रघु उठ गया और जाने लगा. बोला ठीक है मैडम जी मैं चलता हु आप आराम करो, मैंने रघु का हाथ पकड़ लिया, और बैठाया, बोला रघु क्या तुम मेरी मदद करोगे, रघु कहने लगा मैडम जी अगर साहब को पता चल जायेगा तो . तो मैंने कहा कभी पता नहीं चलेगा. और फिर रघु मुस्कुरा दिया. शायद उससे भी लाटरी लग गई.
उसके बाद मैंने अपना गाउन उतार दिया. मेरी चूचियाँ बाहर आते ही रघु देख रहा था, मैंने उसका हाथ पकड़ी और अपने चूची पे रख दिया वो हौले हौले दबाने लगा. फिर क्या था दोस्तों वो भुखुे भेजदिए की तरफ मेरे ऊपर टूट पड़ा. मजा आ गया मुझे वो मेरे शरीर को इधर से उधर सहलाने लगा और फिर मेरी चूत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा, मैं सिसकिया ले रही थी. और फिर मैंने उसको बोला चलो अब चाटो वो तो यार. आह आह आह करके मेरी चूत को चाटने लगा. और फिर मेरे चूचों को मसलने लगा. मेरे गांड में ऊँगली डालने लगा. मैं वैचैन हो गई. और फिर क्या था जब मैंने उसका लंड निकाला उसके पेंट से दंग रह गई.
मोटा काला लंड करीब आठ इंच का फनफना रहा था सलामी दे रहा था. मैंने तुरंत ही उसको अपने चूत के ऊपर रख ली और फिर शुरू हो गया असली खेल, वो मुझे उल्टा के पलटा के खड़ा कर के डौगी बना के चोद रहा था. और मैंने भी हाय हाय कर के छुड़वाने लगी. रात भर करीब करीब ३ बार मैंने खूब मजे लिए. फिर क्या बताऊँ दोस्तों . मनाली का तिन दिन का पैकेज मेरे ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पैकेज था. मैं खूब एन्जॉय की. अब मैं बहुत खुश हु. क्यों की मुझे अब सब कुछ मिल गया है. जब भी मुझे वाइल्ड सेक्स की जरूरत होती है ड्राइवर को बुला लेती हु.

मेरी प्यारी रसीली नानी Indian Sex Kahani

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मेरी और मेरी एक नानी (चाची की माँ) की जिसमे मैं नानी की धुआंधार चुदाई करता हूँ| अब मैं अपनी granny sex story शुरू करता हूँ|
मैं घर से दूर जॉब करता था और अकेला रहता था| एक दिन मेरे पिता जी आये और एक रात के लिए मेरे पास रुके। रात को उन्होंने जब वो खाना खाया तो बहुत दुखी हुए। अगले दिन पिता जी के जाने के बाद रात को घर से फोन आया और मुझे घर पर बुलाया। मैं छुट्टी लेकर गाँव चला गया। सबने मिल कर फैसला किया कि या तो घर से कोई मेरा खाना बनाने और घर के काम के लिए मेरे साथ चला जाए या फिर कोई अच्छा इंतजाम किया जाए। पर इंतजाम क्या किया जाए?
सुबह मेरी समस्या का कुछ हल निकलता महसूस हुआ। मेरी एक चाची ने मेरी माँ को कहा कि उसकी माँ बहादुरगढ़ में अकेली रहती हैं, अगर मैं उसके पास रहने लगूँ तो उसकी माँ का भी अकेलापन खत्म हो जाएगा और मेरी रोटी का भी इंतजाम हो जाएगा। नांगलोई से बहादुरगढ़ ज्यादा दूर भी नहीं था। यह सोच कर कि बुढ़िया के साथ रहना पड़ेगा मैंने मना कर दिया।
पर फिर भी चाची ने जोर देकर एक बार मिलने को कहा तो मैंने चाची को कहा- आप एक बार साथ चलो, अगर पसंद आया तो रह लूँगा।
चाची मेरी माँ के कहने पर तैयार हो गई। अगले ही दिन हम बहादुरगढ़ के लिए निकल लिए। पूरे रास्ते चाची अपनी माँ के बारे में ही बात करती रही।
आखिर हम दोनों बहादुरगढ़ पहुँच गए। रिक्शा में बैठ कर हम दोनों चाची के घर की तरफ चल दिए। छोटी सी रिक्शा और खड्डों से भरी सड़क पर मैं चाची से बिल्कुल चिपक कर बैठा था और चाची भी हर खड्डे पर मेरी बाँह पकड़ कर मुझसे चिपक जाती। मेरे एक दोस्त पवन की माँ को चोदने के बाद मुझे भी अधेड़ उम्र की औरतें बहुत पसंद आने लगी थी। चाची की उम्र भी यही कोई तीस बत्तीस साल होगी। दो बच्चों की माँ थी वो पर उसके बदन के स्पर्श से मेरी पैंट के अंदर हलचल होनी शुरू हो गई थी।
मैं अब अंदर ही अंदर उत्तेजित होने लगा था और मैं जानबूझ कर अपनी कोहनी से चाची की चूची को सहलाने लगा था। चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को कोहनी से सहलाने में बहुत आनन्द आ रहा था। रिक्शा वाला मस्ती में चला जा रहा था।
तभी मेरी नज़र चाची की नज़र से मिली तो चाची ने एक मादक मुस्कान देते हुए मेरी तरफ देखा। मुझे मामला पटता हुआ लगा।
लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों चाची की माँ के घर पहुँच गए। नानी (चाची की माँ) को देखते ही मेरे तो होश उड़ गए। नानी एक पैंतालीस-पचास साल की बेहद खूबसूरत बदन की मालिक थी। जिसे मैं बुढ़िया समझ कर ना कर रहा था वो तो पवन की माँ शोभा से भी ज्यादा मस्त माल थी। मेरा तो लण्ड सलामी देने लगा था उसको देखते ही। सही कहूँ तो चाची की गदराई जवानी फीकी लगने लगी थी नानी को देख कर।
जल्दबाजी करने की जरुरत नहीं थी। क्यूंकि चाची भी आधी तो पट ही चुकी थी। मैं आगे बढ़ा और झुक कर नानी के पाँव छुए तो उसने मुझे अपनी छाती से लगा लिया। उनकी चूचियों का कड़ापन मुझे महसूस हुआ तो दिल किया अभी पकड़ कर मसल दूँ।
नानी का नाम गंगा था। हमें बैठा कर वो चाय के साथ देने के लिए नाश्ता लेने चली गई।
उसके जाते ही मैं चाची के पास जाकर बैठ गया और बोला- चाची, तुम्हारी माँ तो नहीं लगती ये?
चाची हँस पड़ी।
“क्यों कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई लगता है।” चाची की बात सुन कर मेरी भी हँसी छूट गई।
चाची अब भी मेरी तरफ ही देखे जा रही थी कि मैंने भी जोश में आकर अपने होंठ चाची के होंठों पर रख दिए। चाची एक बारगी तो अवाक् रह गई पर फिर एकदम से मुझसे लिपट गई और मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने भी मस्ती में चाची की चूचियाँ मसल डाली।
चाची सिसकारियाँ भरने लगी थी। अभी और कुछ करने का इरादा बना ही था कि दरवाजे पर आवाज हुई और हम दोनों अलग हो गए।
नानी समोसे लेकर आई थी। फिर चाय के साथ सबने समोसे खाए और फिर इधर उधर की बातें करते रहे पर मेरा दिल अब बेचैन हो गया था। मेरे पास बस आज आज का ही दिन था क्यूंकि अगले दिन तो मुझे ड्यूटी पर जाना था। मैंने चाची को अपना इरादा बता दिया था की मैं चाची को चोदना चाहता हूँ। वो भी तैयार हो गई थी।
चाची ने मुझे कुछ देर इन्तजार करने को कहा। ऐसे ही बातें करते करते दोपहर हो गई। तब तक नानी भी मेरे साथ नांगलोई रहने को तैयार हो गई थी।
दोपहर को मैं चाची और उसकी माँ को लेकर नांगलोई अपने कमरे पर आ गया। कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था बस एक बेड लगा था और एक मेज कुर्सी।
तभी मेरे फोन पर चाचा का फोन आया और उसने चाची को तुरंत वापिस आने को कहा। मेरे दिल के अरमान चकनाचूर हो गए थे। क्यूंकि चाची को चोदने का सपना टूट गया था।
मैं बुझे दिल से चाची को वापसी की बस में बैठा कर आया। चाची का मन भी बहुत दुखी था पर फिर वो बोली- अब तो माँ तुम्हारे ही साथ रहती हैं तो जल्दी ही दुबारा आऊँगी।
मैं चाची को छोड़ कर वापिस अपने कमरे पर पहुँचा तो कमरे का नक्शा ही बदला हुआ था। मेरे नए रूम पार्टनर ने कमरे को चमका दिया था। जो रसोई मैंने पिछले एक महीने से खोली भी नहीं थी वो भी अब चकाचक चमक रही थी। उसने मुझे एक लिस्ट बना कर दी सामान की। मैं कुछ ही देर में लेकर आ गया। ऐसे ही कब रात हो गई पता ही नहीं चला।
अब बात आई सोने की। मेरे कमरे में तो सिर्फ एक ही बेड था। नानी ने अपना बिस्तर जमीन पर लगा लिया। मैं बेड पर लेट गया। हम दोनों ऐसे ही लेटे लेटे ही बाते करते रहे। तभी मेरे मन में एक ख्याल आया और मैंने अपना बेड एक तरफ़ खड़ा करके अपना बिस्तर नानी के बराबर में लगा लिया।
“अरे क्या कर रहा है? ऊपर ही सो जाओ ना !”
“नहीं नानी… अभी तो तुमसे बहुत बातें करनी है और ऊपर से लेटे लेटे बातें करने में मज़ा नहीं आ रहा और गर्दन भी दुखने लगी है।”
वो हँस पड़ी। मैं अब उसके पास ही बिस्तर लगा कर लेट गया था। बातें करते करते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
रात को करीब तीन बजे मुझे पेशाब का जोर हुआ तो नींद खुली। मैं उठ कर पेशाब कर आया। जब मैं अपने बिस्तर पर लेटने वाला था तभी मेरी नज़र उस पर पड़ी जो बेसुध होकर सो रही थी, साड़ी अस्त-व्यस्त हो रही थी। पल्लू छाती से सरक चुका था और ब्लाउज में कसी चूचियाँ साँस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी। नानी का नंगा पेट देख कर मेरा लण्ड फुंकारे मारने लगा।
मुझे पवन की माँ की याद आ गई। मेरा मन अब चुदाई करने को तड़पने लगा था। पर नानी के साथ यह सब करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं बिना लाइट बंद किये बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि नानी की चूत कैसे मारी जाए। एक बार तो मन में आया कि पकड़ कर चोद डालूँ, पर फिर सोचा कि जल्दबाजी में काम खराब हो सकता है और फिर अब तो ये मेरे ही साथ रहने वाली है, मौका मिलता ही रहेगा।
मैं उसके बदन को अपनी नज़रों से चोदता चोदता कब सो गया पता ही नहीं चला।
सुबह मेरी आँख तब खुली जब नानी ने चाय बना कर मुझे जगाया। चाय पीते पीते भी मेरी नज़रें उसके बदन को टटोल रही थी।
चाय पीकर मैं नहाने चला गया और फिर तैयार हो कर अपने ऑफिस।
ऑफिस में बैठे बैठे बस यही सोचता रहा कि नानी को कैसे पटाया जाए। आखिर में यह सोचा कि एक बार नानी को अपने लण्ड के दर्शन करवाकर देखता हूँ फिर आगे की सोचूंगा।
दिन काटना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था। छुट्टी होते ही मैं घर की तरफ भागा। जब कमरे पर पहुँचा तो वो सो रही थी। मैंने उसको नहीं उठाया और वही कमरे में कपड़े बदलने लगा। कमीज बनियान उतारने के बाद मैंने अपनी पैंट भी उतार दी और सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था कि उसकी आँख खुल गई। नानी के बदन को देख कर मेरा लण्ड पूरे शबाब पर था और अंडरवियर में तम्बू बन गया था। मैंने देखा कि वो मेरे लण्ड को गौर से देख रही थी। पर जब मुझ से नज़र मिली तो वो हड़बड़ा गई और उठ कर मेरे लिए चाय बनाने के लिए चली गई। खाना खा कर हम लोग फिर से बातें करने लगे।
मुझे तो नींद नहीं आ रही थी। बस नानी का बदन आँखों में घूम रहा था और नानी को चोदने का ख्याल बार बार मन और बदन में हलचल मचा रहा था। कुछ देर बातें करने के बाद मैंने सोने का नाटक किया। नानी ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और फिर मेरे बगल में ही अपने बिस्तर पर लेट गई। मैंने देखा कि वो एकटक मेरी तरफ देख रही थी। कुछ देर बाद उसने भी आँखें बंद कर ली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई। मैंने करीब आधा घंटा इन्तजार किया और फिर सरक कर उसके बिल्कुल करीब चला गया और अपना हाथ नानी के ऊपर रख दिया। नानी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने सोचा कि वो सो चुकी है और मैं थोड़ी ज्यादा हिम्मत करके बिल्कुल उससे चिपक गया।
अब नानी थोड़ा हिली पर मैं वैसे ही लेटा रहा। नानी ने करवट बदली तो मेरा जो हाथ पहले नानी के कंधे पर था वो एकदम से नानी की चूची पर गिर गया। मैं सोने का नाटक करता रहा और नानी ने भी मेरा हाथ नहीं हटाया। मेरे हाथ के नीचे माखन-मलाई का गोला था। मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था। मैंने नानी की चूची पर थोड़ा सा दबाव बनाया और धीरे धीरे चूची को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और एक बार जोर का दबाव देकर फिर मेरे हाथ को अपनी चूची पर से हटा दिया।
वो अब सीधी होकर लेट गई थी और उसकी चूचियाँ नाईट बल्ब की रोशनी में बहुत मादक लग रही थी। मैंने कुछ देर बाद ही अपना हाथ दुबारा से उसकी चूची पर रखा और इस बार हाथ रखते ही चूची को सहलाना शुरू कर दिया। उसने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा पर बोली कुछ नहीं।
उसकी चुप्पी का मतलब उसकी सहमति थी। और वो भी शायद यही चाहती थी। मैंने चूचियों को थोड़ा और जोर से मसलना शुरू कर दिया। नानी अब भी कुछ नहीं बोल रही थी।
मेरा हाथ अब नानी के ब्लाउज के हुक खोलने के लिए बेचैन हो रहा था। मैंने जैसे ही हुक खोलने शुरू किये तो नानी ने हाथ पकड़ लिया।
“सुमित, यह क्या कर रहा है बेटा..”
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप लेटा रहा। नानी ने मुझे थोड़ा हिलाया और फिर से मुझे आवाज दी,”सुमित… !”
मैं फिर भी कुछ नहीं बोला। वो फिर से मेरे पास लेट गई। मैं कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा और फिर से मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया। इस बार वो चुपचाप पड़ी रही। मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो वो जाग रही थी और मेरी ही तरफ देख रही थी।उसको चुपचाप पड़े देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने भी चुपचाप ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए। इस बार उसने मुझे नहीं रोका और मैं भी पूरे हुक खोलने के बाद ही रुका। ब्लाउज के खुलते ही उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गई जिन्हें देखते ही मेरे लण्ड ने फुंकारे मारने शुरू कर दिए। अब मैं उसकी नंगी चूची को सहला और मसल रहा था। उसकी आँखें बंद हो गई थी और वो होंठ दांतों में दबा दबा कर अपनी सिसकारी को रोकने की कोशिश कर रही थी।
मैंने जानबूझ कर चूची के निप्पल के पकड़ कर जोर से मसल दिया तो उसकी सीत्कार निकल गई और वो फुसफुसाई.. “सुमित… थोड़ा आराम से कर बेटा..”
उसके मुँह से इतना सुनते ही मैंने दोनों चूचियों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगा। नानी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी एक चूची अपने हाथ से पकड़ कर मेरे होंठों से लगा दी। मैंने भी देर न करते हुए चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। बीच बीच में मैं निप्पल को अपने दांतों से काट रहा था जिस कारण नानी की सीत्कारें निकल रही थी।
नानी की साँसें अब तेज-तेज चल रही थी। मैं अब उसकी एक चूची को चूस रहा था और दूसरी को अपने हाथ से पकड़ कर मसल रहा था। उसकी साड़ी अस्त-व्यस्त हो गई थी और अब उसकी आधी से ज्यादा टाँगे नंगी नज़र आ रही थी।
मेरे लिए अब अपने पर काबू रखना मुश्किल था।
मैं अब उसके ऊपर छा गया और उसके कपड़े उतारने लगा। कुछ ही देर बाद नानी का नंगा बदन मेरी बाहों में झूल रहा था।
उसके हाथ भी अब कुछ ढूँढ रहे थे। मेरे बदन पर अब कपड़े नहीं थे। उसने मुझे नीचे लेटा लिया और मेरे बदन को चूमने लगी। चूमते-चूमते उसने जब अपने होंठ मेरे लण्ड पर रखे तो मैं तो निहाल हो गया। उसका अनुभव साफ़ दिख रहा था। उसकी हरकतों से मेरे बदन में खून उबलने लगा था। वो मस्ती में मेरे लण्ड को चूस रही थी। लण्ड पूरा कड़क हो चुका था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर जब चूत देखी तो चूत पूरी गीली हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी।
मेरे लिए अब सब्र करना मुश्किल था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक जबरदस्त धक्के के साथ पूरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में उतार दिया। चूत पूरी गीली थी पर धक्का इतना जबरदस्त था कि उसकी चीख निकल गई।
मैंने चूची को चूसते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। थोड़ी ही देर में वो भी चूतड़ उठा उठा कर लण्ड लेने लगी और फिर तो जोरदार चुदाई शुरू हो गई।
मैं भी पूरा लण्ड डाल डाल कर चुदाई कर रहा था। ऐसे ही करीब आधा घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से उलझे रहे। इस दौरान मैंने उसको अलग अलग तरीके से चोदा। कुछ देर तो वो भी मेरे ऊपर चढ़ गई और उछल उछल कर लण्ड लेने लगी।
जोरदार चुदाई के दौरान वो तीन-चार बार झड़ चुकी थी। फिर मेरे लण्ड ने भी फव्वारा चला कर नानी की चूत वीर्य से भर दी।
उस रात हमने तीन बार चुदाई की और फिर अगले चार महीने जब तक मेरा तबादला नहीं हो गया, मैंने उसको बहुत चोदा और मज़ा लिया।
इस चुदाई से मुझे यह तो पता लग गया कि पुरानी शराब में नशा ज्यादा होता है और मज़ा भी ज्यादा आता है।
इस दमदार चुदाई के बाद अब मैं ऐसे मौके ढूंढता ही रहता हूँ|

देवर जी ने चुम्मा लेकर अपने मोटे लंड से चोद दिया

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बड़े लौड़े के लिए मम्मी का जुगाड़ अंकल से लगवाया

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हेल्लो दोस्तों में हु रोहित, में 21साल का हु और भांडुप में रहता हु. में इस साईट का बहुत बड़ा फेन हु. यह मेरी लाइफ की रियल स्टोरी हे. टाइम वेस्ट ना करते हुए मैं अपना रियल आप लोगों को बताता हूं
हमारे घर में तीन लोग हैं. मैं, मेरे पापा चंद्रेश और मेरी मम्मी सोनम. मेरे पापा एक बिजनेसमैन है इसलिए वह हर टाइम बाहर ही रहते हैं, मेरी मम्मी एक बहुत ही सेक्सी महिला हे उनका उमर 43 साल है लेकिन ऐसा लगता है कि 35 की होगी.
 हम लोग मारवाड़ी होने के कारण मेरी मम्मी का फिगर आप लोग इमेजिन कर सकते हो. बड़े बड़े मम्में 36 के और बड़ी निकली हुई गांड है. जब मम्मी शॉपिंग के लिए निकलती है तो बच्चे भी उनको घूर घूर कर देखते रहते हैं. मम्मी मॉडर्न महिला थी इसलिए उन की सहेलिया भी बहुत थी और मम्मी लोगों का एक लेडीज क्लब भी था सोसाइटी में.
एक दिन की बात है, जब पापा टूर पर गए हुए थे. मैं रात को पानी पीने के लिए उठा तो देखा कि मम्मी की रूम की लाइट जल रही थी, तो मैंने उसे अंदर देखा तो दंग रह गया. मम्मी अपने बेड पर नंगी लेटी हुई थी और अपनी चूत सहला रही थी और उंगली भी कर रही थी.
मेरे को थोड़ा बुरा लगा लेकिन फिर सोचा कि पापा तो बाहर रहते हैं और मम्मी से सेक्स नहीं करते हैं इसलिए मम्मी सेक्स के लिए भूखी होती हे. इसलिए ऐसा कर रही है. लेकिन मैंने एक दिन मम्मी को फोन पर  नीतू आंटी से बात करते हुए सुना और मैं परेशान हो गया, मम्मी और आंटी के बीच सेक्स करने की बात हो रही थी. तो मम्मी  बोल रही थी कि मैं सेक्स के लिए बहुत तड़प रही हु, मेरे को एक लंड की जरुरत है नीतू तू कुछ इंतजाम कर दे प्लीज.
तो आंटी ने कहा की क्यों तडप रही है सोनम, तू एक काम कर अब इंटरनेट का जमाना है तु किसी आदमी को पटा ले और उससे चुदाई करवा ले. तो मम्मी ने कहा की मुझे डर लगता हे की किसी को पता ना चल जाए, अगर पता चल गया तो मेरी और मेरी फैमिली की इज्जत चली जाएगी. फिर मैं यह सुनकर सोचने लगा तभी मैंने डिसाइड किया कि मैं इसके बारे में मम्मी से बात करुंगा.
मैंने दूसरे दिन हिम्मत करके मम्मी को बोला कि मम्मी मेरे को तुमसे कुछ बात करनी है. तो मम्मी ने बोला कि बोलो. तो मेने सब कुछ बताया, की मेने उन्हें रात को बेडरूम में चूत में उंगली करते हुए देखा था और फिर नीतू आंटी से बात करते हुए भी सुना है. तो यह सुनकर उनका चेहरा पूरा लाल हो गया था. मेरे सामने मम्मी के आँख से आंसू आ रहे थे. मम्मी ने कहा कि सोरी बेटा, में सेक्स में अंधी हो गयी थी और फैमिली का ख्याल नहीं किया लेकिन अब से मैं ऐसा नहीं करुंगी.
तो मैंने मम्मी के आंसू पोछे और मम्मी को समझाया, यह तो नेचुरल है इसमें रोने की कोई बात नहीं. आप एक औरत हो और आपको सेक्स की जरूरत है. और आपको कोई चिंता करने की जरुरत नहीं है और आप को किसी बाहर वाले को पटाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह लोग आपको बाद में ब्लेकमेल करते हैं, में आपको कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ कर दूंगा और आप उस के साथ मजे करना, मेरे को इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है. तो मम्मी मेरे को देख कर मुस्कुराई और गले लगा लिया.
फिर मेने उस दिन नेट पर एडल्ट साइट पर फेक अकाउंट बनाइ और मम्मी की बॉडी का फोटो देकर पोस्ट किया कि कोई तगड़ा लंड वाला हे जो इस औरत को खुश कर सके? और इसे चोद चोद के रुला सके? तो दूसरे मुझे मुझे बहुत रिप्लाय आये. तो मेने सब से बात करना स्टार्ट किया और लाइव चेट भी करता था और आखिर में मुझे एक तगड़ा लंड वाला आदमी मिल गया.
उनका नाम था अनिकेत, उनकी ऊमर कुछ 40 साल थी, तगड़ा शरीर था और बहुत बड़ा लंड था करीब 7 इंच लम्बा और ४ इंच मोटा होगा. में उसका लंड देख के सोच रहा था कि यह आदमी अगर मेरी मम्मी को चोदेगा तो क्या हालत होगी मेरी मम्मी की चूत का? फिर मेने उन से सब कुछ पूछा उन के बारे में क्या करते हैं कहां रहते हैं? सब कुछ और मैंने उनको एक दिन होटल पर बुलाया और उनसे सब खुलकर बोला तो थोड़ा शोक हो गए और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगे.
फिर मैंने फाइनली उनसे पूछा क्या आप तैयार हो? तो उन्होंने बताया कि मैं तो तुम्हारे मम्मी की फोटो जब से देखा है तब से उनके नाम की मुठ मार रहा हूं. मैं हँसा और हम लोगों का पहला मुलाकात खत्म हुआ. मेरे को वो आदमी बहुत अच्छे लगे फिर मैंने मम्मी को उसका फोटो दिखाया और उनसे मिला दिया नेट पर वीडियो चैटिंग के जरिए.. तो मम्मी को भी वो आदमी बहुत अच्छा लगा. मम्मी ने मुझे बोला और दोनों के बिच चैटिंग होती रही और फोन नंबर भी दिया था मम्मी ने और मम्मी उनसे बात करती थी.
फिर मैं एक दिन निकेतन अंकल से मिला तो अंकल ने कहा कि तुम्हारी मम्मी बहुत भूखी हे लंड की और हम लोगों के बीच अब सेक्स चैट भी होता है, तो मैंने उनको पूछा कि क्या आप ने मम्मी के साथ सेक्स किया है? तो उन्होंने ना बोला. उन्होंने बताया कि आज मम्मी ने उन्हें घर पर बुलाया है रात को डिनर पर, और आज आप अंकल हमारे घर रुकेंगे और मम्मी की चुदाई करेंगे, और अंकल ने भी यह भी बोला कि मैं चाहूं तो मम्मी की चुदाई देख सकता हूं.
मे यह सुनकर घर आ गया और मम्मी ने मुझे बोला कि अंकल  डिनर करने हमारे घर आने वाले हैं, तो मैंने मम्मी से बोला कि आज आप लोग मजे करना मेरे को कोई प्रॉब्लम नहीं है.
तो मम्मी मुस्कुराई और मेरे को किस किया. मैं रात का बेसब्री से इंतजार कर रहा था कि मम्मी कब चुदेगी अंकल से. फिर रात हुई और अंकल ९ बजे घर में आए और हम लोगों ने साथ डिनर किया. मम्मी और अंकल अगल-बगल बैठे थे तो मैंने देखा कि डिनर करते हुए अंकल मम्मी की जांघे सहला रहे थे और मम्मी कुछ नहीं बोल रही थी.
फिर थोड़ी देर बाद मैं भी अपने रुम में चला गया और सो गया था, मुझे नींद लग गई पता ही नहीं चला. जब मेरी नींद टूटी तो मैंने मम्मी के बेडरूम में देखा तो लाइट जल रही थी, तो मैं कीहोल से रूम के अंदर देखने लगा.
मैंने देखा कि मम्मी अपने हाथों से अंकल के लंड को ऊपर नीचे कर रही थी, तभी अंकल ने कहा कि मुझे पता है कि तुझे चोदने के लिए किसी असली मर्द का लंड चाहिए, तभी मम्मी ने कहा इसलिए तो मै आपसे चुदाई करवा रही हु. यह सुनकर मैं सरप्राइज हो गया और फिर मम्मी बोली कि आपको जब पहली बार देखा तो मेरी चूत में हलचल मच गई, और आपसे चुदवाने के सपने देख रही थी. यह सुनकर अंकल खुश हो गए और मम्मी ने जो गाउन पहना था उसे निकाला, मम्मी ने अंदर कुछ नहीं पहना था. और वह ३६ के ब्बुस देख के अंकल ने मम्मी की मम्मो को मुंह में लिया और जोर से उसे चूसने लगे, और दूसरे हाथ से दूसरा बूब्स रगड़ने लगे, मम्मी यहां पर जोर जोर से सिसकियां भर रही थी और अपने हाथों से अंकल का लंड हिला रही थी.
फिर २० मिनिट निपल चूसने के बाद अंकल ने मम्मी से कहा कि सिर्फ हाथ से हिलाएगी क्या? तो मम्मी ने अंकल की पेंट खोल दी और जब मम्मी ने उनका लंड देखा  तो सरप्राइज हो गयी. क्योंकि लंड 7 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा था और काला था. मम्मी ने कहा की यह इतना बड़ा और इतना मोटा है, मैं इसे नहीं ले सकती. तभी अंकल ने मम्मी के सर को पकड़ा और अपना लंड मम्मी के मुह में डाल दिया और फिर मम्मी अंकल का लंड चूसने लगी. 20 मिनट तक लंड चूसने के बाद अंकल ने मम्मी को बेड पर सुला दिया, मम्मी के चूत पर हाथ फेरते हुए उन्होंने अपना मुंह मम्मी की चूत पर रखा और चाटने लगे, और मम्मी जोर से चिल्लाने लगी आह औऊ हप हहह हाउ ह यस्स गागा ही अग्ग य्य्र गग्ग हआऔउ अग्ग और करो ना बहुत अच्छा लग रहा है.
२० मिनट तक चूत चाटने के बाद मां जोर से चिल्लाई और चोद आह्ह हँ इई अहह ओह हह्ह्ह कम ओन अनिकेत.. मम्मी चीलाई की में जड़ने वाली हु, फिर मम्मी ने अपनी चूत से बहुत सारा पानी निकाला और अंकल ने वह पानी पी लिया.
फिर अंकल मम्मी के चूत पर अपना लंड घीसने लगे और फिर जोर से अपना लंड मम्मी की नाजुक चूत में घुसा दिया. यहां पर मेरी मम्मी का मुंह खुला का खुला रह गया मानो कि अंकल का लंड उनके मुंह से बाहर निकला हो और उन्होंने मम्मी से कहा की कितनी टाईट की है तेरी चूत और मम्मी को जबरदस्ती चोदने लगे. मम्मी की आंखों से पानी आ रहा था यहां पर अंकल मेरी मम्मी को कुत्ते की तरह चोद रहे थे, और मेरी मम्मी जोर जोर से चिल्ला रही थी और जोर से करो अनिकेत अहह इह हां हू ओह हहह येस्स.
45 मिनट तक अंकल ने मेरी मम्मी को खूब चोदा और अंकल जोर से चिल्लाने लगे और कहने लगे कि मैं झड़ने वाला हूं. इतने में अंकल ने सारा पानी मम्मी की चूत में डाल दिया और मम्मी के लिप्स को चूसते हुए बगल में लेट गए.
थोड़ी देर बाद अंकल बाथरूम में जाकर आए और मम्मी ने उनका लंड देखा तो अभी भी खड़ा था, तो मम्मी ने कहा की आपका लंड अभी भी खड़ा हे. तो अंकल ने कहा की अभी तो तेरी चूत फाड़ी हे अब तेरी गांड मारूंगा और यह सुनकर मम्मी डर गयी और कहने लगी आपका लंड मेरी गांड में नहीं ले सकती. तो अंकल ने कहा की चिंता मत करो आराम से करूँगा. फिर मम्मी अंकल का लंड मुह में लेकर चूसने लगी.
5 मिनिट बाद अंकल मम्मी को कुत्ते की तरह किया और मम्मी की गांड चाटने लगे, मम्मी को बहुत अच्छा लग रहा था, उसके बाद अंकल ने अपना लंड मम्मी की गांड में घुसना चालू कर दिया और मम्मी जोर जोर से चिला रही थी और यहाँ अंकल मम्मी को जोर जोर से चोद रहे थे. उनकी चुदाई रातभर चलती रही, फिर मेने सुबह देखा की अंकल और मम्मी नंगे सोये हुए थे और फिर उस सुबह जब मेने माँ को देखा तो उन्हें थोडा चलने को प्रॉब्लम हो रही थी और मेने मम्मी और अनिकेत अंकल के चेहरे पर ख़ुशी पायी.

बरसात में छोटे भाई के साथ sexy story

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मेरा नाम नुपुर है और मेरी उम्र 22 है। इस साईट पर यह मेरी पहली कहानी है.. लेकिन मैंने इस साईट पर बहुत सी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है। दोस्तों आम तौर पर सब लोग यही मानते है कि सेक्स को लेकर लड़को में बहुत जोश होता है। यह बात एकदम सही है.. लेकिन यह बात भी मान लीजिए कि लडकियों में भी सेक्स को लेकर उतना ही जोश होता है। पर हम लड़को को पता नहीं लगने देते। मेरी सभी दोस्त इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मज़े लेती है। आज में आप सभी से जो कहानी शेयर कर रही हूँ.. इससे बस यही साबित होता है कि एक लड़का और एक लड़की के बीच सिर्फ़ एक ही रिश्ता हो सकता है और वो आप सभी जानते होंगे.. लीजिए में अपनी rain sex story पर आती हूँ।
दोस्तों यह पिछले साल बरसात के दिनों की बात है। हमारे कॉलेज की छुट्टी हुई और अचानक मौसम खराब हो गया और जोरों से बारिश होने लगी। में कुछ देर तो कॉलेज में रुकी और एक घंटे तक में वहाँ पर खड़ी रही.. लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और अब धीरे धीरे रात भी होने को थी.. तो में बारिश में भीगते भीगते अपने घर पर आ गयी।
घर पर पहुंचते पहुंचते मुझे 7 बज गए थे और बहुत अंधेरा भी हो चुका था और उस समय घर पर लाईट भी नहीं आ रही थी। मैंने दरवाजा बजाया तो मेरा छोटा भाई पराग दरवाजे पर आया और उसने दरवाजा खोला.. वो मुझसे दो साल छोटा था।
पराग : आप तो बिल्कुल भींग गई हो
में : तो में क्या करती रेनकोट ले जाना भूल गई थी.. क्या तू एक काम करेगा?
पराग : हाँ दीदी।
में : तू मेरे लिए चाय बना दे.. मुझे बहुत ठंड लग रही है।
पराग : ठीक है.. में अभी बनाकर लाता हूँ।
फिर में अपने कमरे में चली गई.. बाहर मौसम अब ठीक हो चुका था.. लेकिन हवा तेज़ चल रही थी और में मोमबत्ती जलाकर अपने रूम तक गयी.. लेकिन रूम तक जाते जाते मोमबत्ती बुझ गई और फिर में बाथरूम में कपड़े चेंज करने गई और मैंने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए। तभी मुझे याद आया कि मैंने टावल तो लिया ही नहीं.. तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा खोला और देखा कि ज्यादा अंधेरे में बाहर कुछ भी नहीं दिख रहा था। फिर में धीरे धीरे अलमारी की तरफ जाने लगी जो कि दरवाजे के बिल्कुल पास थी और में अलमीरा के पास पहुंच गई थी.. तभी अचानक तेज लाईट के कारण मेरी आखें बंद हो गयी.. लेकिन जब मैंने आंखे खोली तो में सहम गई.. मेरा भाई मेरे सामने खड़ा है एक हाथ में चाय का कप और दूसरे में बुझी हुई मोमबत्ती लेकर। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूं और वो मेरे 34 साईज के बूब्स को तो कभी मेरी नंगी चूत को देख रहा था.. मानो जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। मैंने एक हाथ से चूत और एक हाथ से बूब्स को छुपा लिया और उसे डाटते हुए बोली कि पराग हट जा और फिर में दौड़ते हुए बाथरूम में चली गई।
पराग : सॉरी दीदी.. ( वो चाय लाया था ) मुझे माफ़ करना वो मोमबत्ती हवा से बुझ गई और में यह चाय टेबल पर रख देता हूँ और फिर वो चला गया.. लेकिन पता नहीं क्यों मुझे गुस्सा सा आ रहा था? फिर मैंने सोचा कि इसमें उसकी क्या ग़लती थी। में भी तो जवान हूँ बहुत खूबसूरत हूँ भला 34 इंच के बूब्स गोरा रंग 26 इंच की कमर 34 इंच की गांड को देखकर कोई भी पागल हो सकता है। फिर ऐसे ही मैंने अपने आप को कांच में देखा.. में सच में क़यामत लग रही थी तो मैंने चूत के भीगे बालों पर हल्का हल्का हाथ फेरा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। फिर मैंने सलवार सूट पहन लिया और फिर में किचन में आ गयी.. लेकिन में अपने भाई से आंख भी नहीं मिला पा रही थी और उसे बार बार अनदेखा कर रही थी और वो भी बहुत उत्सुकता महसूस कर रहा था। फिर मैंने ही आगे होकर उससे बात शुरू की..
में : क्या पापा ऑफिस गए है?
पराग : हाँ उनका नाईट शिफ्ट है और वो कल सुबह आएँगे.. लेकिन सॉरी दीदी वो में आपके कमरे में।
में : कोई बात नहीं.. कभी कभी हो जाता है और उसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं थी.. लेकिन अब तुम आगे से ध्यान रखना ठीक है और अब भूख लगी है तो चलो किचन में खाना बना लेते है।
पराग : हाँ ठीक है दीदी।
दोस्तों मेरे परिवार में हम तीन लोग ही रहते थे। इसलिए घर का सभी काम हम लोग मिल बाँटकर करते थे.. फिर हम इधर उधर की बातें करते करते खाना बनाने लगे। तभी अचानक से मेरी गांड पराग से टकरा गयी और मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ? तो मैंने पीछे मुड़कर देखा तो उसके पजामे में उसका लंड तंबू बनकर खड़ा हुआ है। लेकिन इस बात से वो बिल्कुल अंजान होने की कोशिश कर रहा था। तो मैंने भी अनदेखा कर दिया.. तो इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई और कुछ देर के बाद उसने फिर से मेरी गांड में अपना लंड सटाया। फिर में कुछ दूर जाकर खड़ी हो गयी.. वो भी मेरे और करीब आ गया। तभी मैंने गौर किया कि वो मेरे बूब्स को अपनी तिरछी तिरछी निगाहों से देख रहा था.. क्योंकि मैंने दुपट्टा हटा रखा था तो मेरे बूब्स का पूरा आकार साफ साफ नज़र आ रहा था। फिर कुछ देर में खाना बनकर तैयार हो गया और फिर हम करीब 9 बजे खाना खाने बैठे.. हम टीवी देखकर खाना खा रहे थे तो अचानक उसने मुझसे पूछा कि..
पराग : दीदी क्या आपसे एक बात कहूँ?
में : हाँ क्यों नहीं.. बोलो ना।
पराग : आप बहुत सुंदर हो।
उसकी आवाज़ आज मुझे कुछ अलग सी लग रही थी।
पराग : वो आज आपको बिना कपड़ो के देखा तो मुझे पता चला कि आप कितनी सुंदर हो?
में : अपनी बकवास बंद कर नहीं तो में एक थप्पड़ लगाऊँगी और चुपचाप खाना खा।
फिर वो कुछ नहीं बोला और हम खाना खाकर टीवी देखने लगे करीब आधे घंटे बाद मैंने उससे चेनल चेंज करने को कहा.. क्योंकि मुझे सीरियल देखना था.. लेकिन उसने साफ साफ मना कर दिया और वो टीवी देखने लगा रिमोट उसके पास में था। तो मैंने झटके से रिमोट उठा लिया और चेनल चेंज कर दिया और रिमोट सोफे पर रखकर उस पर बैठ गयी।
पराग : रिमोट मुझे देती है या नहीं।
में : नहीं दूँगी।
पराग : प्लीज़ दो ना मुझे टीवी पर कुछ देखना है।
में : में नहीं दे रही और तुम्हें जो करना है कर लो।
दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
कुछ देर वो चुप बैठा फिर अचानक उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया में बहुत हैरान थी और में एक झटके में उसकी गोद में आ गई थी। फिर उसने रिमोट ले लिया.. लेकिन मुझे नहीं छोड़ा में अब भी उसकी गोद में ही थी और में उससे छूटने की कोशिश कर रही थी.. उसने मुझे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था।
में : पराग यह क्या कर रहे हो?
पराग : अभी आपने ही तो कहा था ना जो करना है करो लो।
में : बेशरम आने दो पापा को में तुम्हारी.. मैंने उसकी नाक पर ज़ोर से मारा तो उसने मुझे छोड़ दिया और में जैसे तैसे सोफे से उठी और दुपट्टा लेकर वहाँ से जाने लगी। तभी उसने मुझे पीछे से मेरी कमर को पकड़ कर सोफे पर पटक दिया। मेरी तो चीख निकल गई और उसने बिना समय गवाएं मेरे मुहं पर रुमाल बाँध दिया और फिर मेरे दुपट्टे से मेरे हाथ बाँध दिए। अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि में क्या करूं और वो पूरी तरह से पागल हो गया था। में उससे छुटने की पूरी कोशिश कर रही थी और में अपने पैर से उसे दूर कर रही थी। फिर मेरा एक पैर उसके लंड पर जाकर लगा तो वो दर्द के मारे वहीं पर बैठ गया और मुझे मौका मिला.. में सोफे से उठी.. लेकिन उसने मुझे पकड़ लिया और फिर सोफे पर पटक दिया।
पराग : साली तू बहुत लात चलाती है रुक जा।
में पराग के मुहं से यह सब सुनकर बहुत हैरान थी और मुझे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था। फिर उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर फैला दिया और वो खुद मेरे ऊपर लेट गया एक हाथ से उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे करने लगा और दूसरे हाथ से वो मेरे बूब्स को मसलने लगा। उसने मेरी सलवार को नीचे किया और अपनी पेंट और अंडरवियर को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाला लिया। फिर वो मेरी पेंटी में अपना एक हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा और में उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। मेरा सर सोफे से नीचे लटक रहा था और में पूरी ताक़त लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी। उसने मेरी पेंटी को साईड से हटाकर लंड का टोपा मेरी चूत में रख दिया.. में लाचारी से उसकी तरफ देख रही थी। फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.. मेरी तो जान ही निकल गयी। फिर दूसरा झटका दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर। अब में दर्द से मरी जा रही थी और मेरी दोनों आँखों से गरम गरम आंसू निकल रहे थे और वो लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और अब मैंने विरोध करना बंद कर दिया। वो भी मुझे चोदने का मज़ा लेने लगा.. मैंने अपनी दोनों आखें बंद कर ली.. लेकिन आंसू नहीं रुके.. इतना दर्द मुझे कभी नहीं हुआ।
फिर उसने मेरा कुर्ता खोलना चाहा.. लेकिन मेरे दोनों हाथ बंधे होने के कारण वो सिर्फ़ कंधे तक ही मेरा कुर्ता खोल पाया। वो मेरी गर्दन, कंधे, गाल और पीठ पर किस करता रहा। में लगभग बेहोश हो चुकी थी.. तभी वो बहुत घबरा गया और उसने मेरा मुहं खोल दिया.. लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की। फिर उसने पानी लाकर मेरे मुहं पर मारा तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मुझे खोल दो तुम्हें जो करना है कर लो.. लेकिन धीरे धीरे। वो बहुत खुश हो गया और मुझे किस करने लगा। फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लंड 6 इंच का बिल्कुल तना हुआ था और उस पर मेरी चूत का खून लगा हुआ था। तो उसने रुमाल से खून को साफ किया और लंड को मेरे होठों पर रख दिया। मैंने मुहं हटा लिया.. लेकिन उसने दोनों हाथ से मेरे मुहं को पकड़ लिया और कहा कि प्लीज़ ले लो ना.. नहीं तो मुझे फिर से ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी। अब मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.. मैंने होंठ को हल्के से खोला और उसके लंड के टोपे को मुहं में लिया और फिर में उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
फिर दो तीन बार ऐसा करने के बाद उसने मेरे मुहं में पूरा लंड घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा.. उसे तो मानो जन्नत ही मिल गयी हो और तीन मिनट के बाद उसने मुझे सोफे से उठाया और मेरे हाथ खोल दिए और मेरे कपड़े खोलने लगा और देखते ही देखते में बिल्कुल नंगी हो गई। और उसने मेरी चूत के खून को साफ किया। फिर वो सोफे पर बैठ गया और मुझे अपनी गोद में बैठने को बोला.. लेकिन में वहीं पर खड़ी रही। तो उसने मेरा हाथ खींचकर मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और फिर उसने मुझे किस करना चाहा.. लेकिन मैंने दूसरी तरफ अपना मुहं मोड़ लिया। फिर वो मेरे बूब्स को चूसने और सहलाने लगा। मेरे मुँह से आहें निकलने लगी। वो कभी बूब्स पर किस करता.. कभी कमर को सहलाता तो कभी मेरी गांड को सहलाता और में कहे जा रही थी अह्ह्ह प्लीज़ पराग आआहहा आ प्लीज़ नहीं ऐसा मत करो। फिर उसने मौका देखकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा.. लेकिन इस बार मुझे दर्द थोड़ा कम हुआ।
फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने एकदम से अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा। फिर कुछ देर बाद वो बहुत थक गया था और शायद उसका वीर्य निकल चुका था और वो अपनी दोनों आंखे बंद करके बस मेरी कमर को सहला रहा था। मेरी सांसे बहुत तेज चल रही थी और मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और में खुद अपनी चूत के झटके उसके लंड पर मारने लगी। तभी वो तो बहुत चकित रह गया और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम एक दूसरे को किस करने लगे। फिर पूरी रात हमने सेक्स किया ।